लेखनी प्रतियोगिता -26-Dec-2022
दगा
दगे की तलाश शायद मेरे दिल को थी
तभी वह दगे की राह, वह खोज लाया
शायरी के साथ अपनी महफ़िल सजाने
वह मेरे आंसूओं को सज़ा कर लाया है
दगे का रंग देख मेरा दिल समझता रहा
दगा ऐसा हुआ जिंदगी की तस्वीर ही खो
गई फिर भी उसकी रोशनी तलाशने में
वह लगा है दगे की चाहत में खुद को वह
जलाता रहा शायद यही मेरे ज़हन की
कोशिश अब हो रही है एक दगा उसकी
तलाश में हो रहा है।
राखी सरोज
Sachin dev
30-Dec-2022 06:33 PM
Well done
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Alka jain
27-Dec-2022 12:54 AM
शानदार
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RAKHI Saroj
27-Dec-2022 01:36 AM
धन्यवाद
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पृथ्वी सिंह बेनीवाल
26-Dec-2022 11:17 PM
बहुत ही सुन्दर
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RAKHI Saroj
27-Dec-2022 01:13 AM
धन्यवाद
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